🌩️ उत्तरकाशी में कहर बनकर टूटा बादल: एक गांव बहा गया, ज़िंदगी थम गई
धराली, उत्तरकाशी | 6 अगस्त 2025
"सब कुछ कुछ ही मिनटों में तबाह हो गया... जैसे आसमान से मौत बरस रही हो।" ये शब्द हैं उत्तरकाशी जिले के धराली गांव के निवासी 48 वर्षीय माधव सिंह के, जिनकी आंखों के सामने उनका पूरा घर, परिवार के सदस्य और खेत-खलिहान बर्बाद हो गए।
5 अगस्त 2025 की रात, जब पूरा गांव गहरी नींद में था, तभी खीर गंगा नदी के ऊपरी इलाके में भयानक बादल फटा। अचानक आए तेज़ बहाव और मूसलधार बारिश ने धराली गांव को अपनी चपेट में ले लिया। कुछ ही मिनटों में गांव के आधे हिस्से बह चुके थे। पेड़ उखड़ गए, बिजली के खंभे ज़मीन में धंस गए और घरों के मलबे में चीखें गूंजने लगीं।
📰 घटना की पूरी कहानी
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून के मौसम में बादल फटना (Cloudburst) कोई नई बात नहीं, लेकिन इस बार का मंजर ज़रा अलग था। खीर गंगा के ऊपरी क्षेत्र में जमा बादलों ने एक साथ इतनी बारिश उगली कि धरती पर तबाही मच गई।
घटना रात करीब 2:10 बजे की है। ग्रामीणों के अनुसार, पहले कुछ देर तेज़ बारिश हुई, फिर ऐसा लगा जैसे पूरा आसमान फट पड़ा हो। कुछ ही पलों में गांव के नाले नदी में बदल गए। चट्टानें ढहने लगीं और जमीन खिसकने लगी।
ग्रामीणों को भागने तक का मौका नहीं मिला। कई लोग अपने घरों में ही फंसे रह गए। कुछ घरों की छतें ढह गईं, तो कुछ पानी के बहाव में बह गए।
🧍 कितने लोग मारे गए और कितने लापता?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 100 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। वहीं स्थानीय लोगों और कुछ स्वतंत्र रिपोर्ट्स के अनुसार मृतकों की संख्या 15–17 तक हो सकती है।
रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे अधिकारियों का कहना है कि कुछ सेना के जवान भी इस आपदा में लापता हुए हैं, जो ITBP की पोस्ट पर तैनात थे। कई शव नदी से नीचे के इलाकों में बरामद हुए हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन का हाल
उत्तराखंड सरकार ने तुरंत NDRF, SDRF, ITBP और सेना की टुकड़ियां मौके पर भेजीं। हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू शुरू किया गया। अब तक 130 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।
रेस्क्यू टीमों को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
रास्ते कट चुके हैं
मोबाइल नेटवर्क बंद है
मलबे में फंसे लोगों को निकालने में भारी मशीनें भी बेअसर हो रही हैं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद हेलीकॉप्टर से इलाके का दौरा किया और आपदा राहत की समीक्षा की। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी घटना पर चिंता जताते हुए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है
📷 जब कैमरे ने देखा तबाही का मंजर
एक वायरल वीडियो में दिखा कि कैसे गांव के लोग पानी के तेज़ बहाव से जान बचाते हुए भाग रहे हैं। कई लोग सड़क के किनारे चढ़कर मदद मांगते दिखे। कुछ लोग मलबे में दबे हुए हैं और स्थानीय लोग पत्थरों को हटाकर उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
🧭 धराली गांव का भूगोल और आपदा की वजह
धराली गांव गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक छोटा लेकिन सुंदर गांव है, जो टूरिज्म और चारधाम यात्रा का अहम हिस्सा है। गांव के पास ही बहने वाली खीर गंगा नदी, मानसून में बेहद खतरनाक रूप ले लेती है।
इस साल मानसून सामान्य से ज़्यादा शक्तिशाली रहा। IMD (भारतीय मौसम विभाग) ने पहले ही रेड अलर्ट जारी किया था।
फिर भी स्थानीय स्तर पर कोई ठोस ऐहतियात नहीं बरता गया।
बादल फटने के दौरान:
1 घंटे में 200+ मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई
मिट्टी और चट्टानें खिसक गईं (landslide)
नदी में अचानक जल स्तर 10 फीट तक बढ़ गया
🧯 कैसे बचा जा सकता था ये हादसा?
उत्तरकाशी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन व्यवस्था बेहद अहम होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि निम्नलिखित उपाय किए जाते, तो नुकसान कम हो सकता था:
1. पूर्व चेतावनी प्रणाली (Early Warning System): यदि ग्रामीणों को बादल फटने की सूचना पहले मिलती, तो वे समय रहते घर छोड़ सकते थे।
2. सामुदायिक प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल: ग्रामीणों को अगर सिखाया गया होता कि आपदा में क्या करें, तो जानें बच सकती थीं।
3. मजबूत निर्माण नीति: इस इलाके में कच्चे मकानों की बजाय RCC स्ट्रक्चर बनने चाहिए थे।
4. मौसम पूर्वानुमान का पालन: सरकार को IMD की चेतावनियों को गंभीरता से लेना चाहिए था।
🚨 आपदा से पहले क्या सुरक्षा बरती जा सकती है?
अगर आप पहाड़ी इलाकों में रहते हैं, तो इन बातों को हमेशा याद रखें:
✅ बाढ़ संभावित इलाकों से दूर रहें
✅ बिजली कटने पर टॉर्च और रेडियो पास रखें
✅ घर में प्राथमिक चिकित्सा किट (First-aid kit) हमेशा रखें
✅ रेडियो पर मौसम की जानकारी सुनते रहें
✅ बच्चों और बुज़ुर्गों को पहले सुरक्षित स्थान पर पहुँचाएं
✅ आपसी मदद को प्राथमिकता दें, अफवाहों से बचें


