आखिर SSC प्रोटेस्ट क्यों हुआ? क्यों हर बार सिस्टम फेल हो जाता है?

 

दोस्तों, आज की ये कहानी उस सच्चाई को उजागर करती है जो लाखों स्टूडेंट्स हर साल SSC की तैयारी करते हुए झेलते हैं… ये कहानी है मेहनत की, धोखे की, और उस सिस्टम की जो हर बार छात्रों को नीचा दिखा देता है। आइए, शुरू से जानते हैं कि इस बार SSC में क्या हुआ…



2025 की गर्मियों में देश के कोने-कोने से लाखों युवा एक ही सपना लेकर उठे—सरकारी नौकरी पाने का सपना। कोई बिहार के आरा से था, कोई राजस्थान के जोधपुर से, कोई उत्तर प्रदेश के बरेली से, और कोई बंगाल के दुर्गापुर से। इन सभी के पास एक ही टारगेट था—SSC Selection Post Phase-13.


Staff Selection Commission यानि SSC हर साल लाखों उम्मीदवारों के लिए एक उम्मीद लेकर आता है। ये परीक्षाएं 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएट लेवल के लिए होती हैं। 2025 में 2,423 पदों पर भर्ती का ऐलान हुआ, और लगभग 29 लाख से ज़्यादा छात्रों ने फार्म भरे। Competition बेहद कड़ा था।




पिछले 6–8 महीनों से छात्र दिन-रात एक कर रहे थे। सुबह 5 बजे उठकर mock tests, दोपहर में current affairs की रट, रात को quantitative aptitude और reasoning—सब कुछ रटा जा रहा था।


नीलम, एक छात्रा जो उत्तराखंड के हल्द्वानी से थी, बताती है:

“मैंने नवंबर 2024 से मोबाइल छोड़ दिया था। यहां तक कि शादी-ब्याह, त्योहार सब छोड़कर सिर्फ पढ़ाई में लगी रही। ये मौका मेरे और मेरे परिवार के लिए जिंदगी बदलने वाला था।


परीक्षा का समय और पहला झटका

परीक्षाएं शुरू हुईं 24 जुलाई 2025 से और चलनी थी 1 अगस्त तक। लेकिन पहले ही दिन कुछ परीक्षा केंद्रों पर अजीब बातें होने लगीं:

    >कई छात्रों को admit card पर लिखा सेंटर मिला ही नहीं।

    >कुछ को परीक्षा से महज़ 1 घंटे पहले admit card बदलने की सूचना मिली।

    >बायोमेट्रिक मशीनें काम नहीं कर रही थीं, और कई छात्रों को अंदर ही नहीं जाने दिया गया।


प्रिंस, लखनऊ के एक उम्मीदवार, बताते हैं:

"मैं सेंटर पर टाइम से पहुँचा। लेकिन वहाँ told हुआ कि तुम्हारा सेंटर बदला गया है—अब वो सेंटर यहाँ से 50 किलोमीटर दूर है। कैसे जाऊँ एक घंटे में?”





जैसे-जैसे परीक्षा आगे बढ़ी, सोशल मीडिया पर छात्रों के वीडियो वायरल होने लगे:

       किसी सेंटर पर पेपर समय से पहले स्टार्ट हो गया।

       कई जगह ब्लैकआउट के कारण पेपर बीच में रोक दिया गया।

       कुछ छात्रों को खाली स्क्रीन, error messages, और login failure का सामना करना पड़ा।

      और कुछ जगह, same shift के दो छात्रों को अलग-अलग पेपर दिखाए गए।



        इन घटनाओं ने छात्रों में आक्रोश पैदा कर दिया। सोशल मीडिया पर #SSC_Re_Exam और #SSC_Protest ट्रेंड करने लगे। कुछ कोचिंग संस्थानों और यूट्यूब टीचर्स ने छात्रों को आवाज़ दी:

> “अगर अब भी चुप रहे तो हर साल यही होगा।”


30 जुलाई को, देशभर से हजारों छात्र दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचे। “Delhi Chalo” का नारा लगा। हाथों में पोस्टर, दिल में गुस्सा और आँखों में आँसू।

 नारे लग रहे थे:

       “हमारा हक चाहिए!”

            “CBI जांच कराओ!”

                 “Vendor Accountability दो!”



जब छात्र दिल्ली में सड़कों पर उतर आए, तो SSC की तरफ से एक सधा हुआ बयान आया:

> “कुछ तकनीकी गड़बड़ियों की सूचना मिली है, जिनकी जांच की जा रही है। छात्रों से संयम रखने की अपील की जाती है।”


कोई माफ़ी नहीं, कोई ज़िम्मेदारी नहीं, कोई समाधान नहीं। इस बीच छात्रों की मांग थी कि परीक्षा को या तो रद्द किया जाए या re-exam कराई जाए।


2025 की ये घटनाएं छात्रों को 2017 के SSC CGL टियर-2 पेपर लीक, और 2018 के CHSL स्कैम की याद दिला गईं। हर बार जैसे SSC सिस्टम के हाथों मजबूर दिखता है, वैसे ही इस बार भी।


छात्रों का कहना था कि हर बार यही pattern होता है:

          1. Exam के दौरान गड़बड़ी

          2. Protest

          3. Inquiry committei

          4. कोई निष्कर्ष नहीं

          5. Time बीतने के बाद सब ठंडा




कुछ छात्रों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका डाली। उनका कहना था:

ये परीक्षा निष्पक्ष नहीं थी।

कई छात्रों को जानबूझकर बाहर किया गया।

टेंडर देने वाली निजी एजेंसी (vendor) को बचाया जा रहा है।

लेकिन कोर्ट की प्रक्रिया धीमी थी। SSC ने अपना पक्ष रखा कि “ज्यादातर सेंटरों पर परीक्षा सही ढंग से हुई” और “छोटे glitches हर परीक्षा में होते हैं”।



हज़ारों छात्रों ने वीडियो में कहा:

> “हम मेहनत करते हैं, system नहीं। गलती उनकी और सज़ा हमारी?"

 


उधर सरकार ने घोषणा की कि अब से जो उम्मीदवार फाइनल लिस्ट में नहीं आते, उनके स्कोर public domain में डाले जाएंगे, ताकि PSUs उन्हें हायर कर सकें।

छात्रों का कहना था, “जब पेपर ही गलत तरीके से हुआ, तो स्कोर किस काम का?”



परीक्षा कराने वाली private agency के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई। सिर्फ एक सूचना आई कि “भविष्य में इनसे सेवाएं लेने से बचा जाएगा।”

लेकिन सवाल ये है—क्यों हर बार यही एजेंसियाँ दोहराई जाती हैं?



1 अगस्त को परीक्षा का आखिरी दिन था। छात्र सड़कों पर थे, अधिकारी AC ऑफिस में। कई परीक्षाएं अंधेरे में लटक गईं।


जंतर मंतर से लौटते वक्त एक छात्र ने कहा:

हम कोई क्रांतिकारी नहीं, सिर्फ नौकरी के हकदार हैं। लेकिन हर बार लगता है जैसे लड़ाई सिस्टम से नहीं, खुद के भाग्य से हो रही है।


क्या SSC एक बार फिर भरोसा खो चुका है?

क्या लाखों युवाओं की मेहनत ऐसे ही गुम होती रहेगी?

और सबसे बड़ा सवाल — क्या कोई जवाबदेही होगी?


अगर आप भी इस कहानी से जुड़े हैं, तो इस आर्टिकल को शेयर करें। क्या आपने भी इस परीक्षा में हिस्सा लिया था? अपने अनुभव नीचे कमेंट करें। क्योंकि जब तक हम आवाज़ नहीं उठाएंगे, ये सिस्टम हमें बार-बार कुचलेगा।


Post a Comment

Previous Post Next Post