2012 में एक लाइव टीवी शो प्रसारण होती है वहां एक लड़की आती है और लाइव शो में बोलती है कि मेरे घर के पास तीन तीन लाश दफन है और उन सब को मेरे पापा ने मारा है
हैलो दोस्तों नमस्कार मेरा नाम है शिवम् और आप देख रहे है डार्क स्टोरी यूट्यूब चैनल, इमेजिन करें: एक 17 साल की लड़की, डर और गुस्से से भरी, एक टीवी स्टूडियो में बैठी है। लाखों लोग उसे लाइव देख रहे हैं। वह अपने पिता की ओर देखती है और कहती है, "मेरे पिता ने तीन तीन लोगों की हत्या की और उनके शव हमारे घर के पास ही दफनाए है।"तो आपका क्या रिएक्शन होगा। यह कोई काल्पनिक स्टोरी नहीं है बल्कि एकदम रियल स्टोरी है, यह कहानी है तमिलनाडु के विल्लुपुरम की, जहाँ एक टीवी शो ने 4 साल पुराने ट्रिपल मर्डर का पर्दाफाश किया।
कहानी शुरू होती है
साल 2012 से, तमिलनाडु का विल्लुपुरम जिला। एक छोटा-सा गाँव, एम. कुचीपलयम, जहाँ लोग शांत और साधारण ज़िंदगी जीते है। लेकिन इस गाँव में एक घर था, जिसके पीछे एक कुआँ और उस कुएँ के पास एक ऐसा राज़ दफन था, जिसे कोई नहीं जानता था—सिवाय एक 17 साल की लड़की, *एम. भार्गवी * के।
भार्गवी एक साधारण किशोरी थी, जो अपने बॉयफ्रेंड *के. सतीश कुमार* से प्यार करती थी। जिसका उम्र उस समय 22 साल था।
दोनों की मुलाकात काम या घर में हुई होगी क्योंकि सतीश मुरुगन के साथ ही काम करता था।
एक दिन दोनों घर छोड़ कर भाग जाती है, क्यों भागती है ये मैं वीडियो में आगे बताऊंगा।
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| भारगवी शो में अपनी बात रखते हुए |
भार्गवी के मन में जो सच्चाई घूम रही थी उसे लोगो के सामने लाना चाहती थी वो चाहती तो पुलिस स्टेशन भी जा सकती थी लेकिन वह दोनों ने तमिल टीवी के सबसे लोकप्रिय रियलिटी शो, सोल्वदेल्लम उन्माई को चुना, जिसका मतलब सब कुछ सच होता है। यह शो, निर्मला पेरियासामी होस्ट कर रही थीं, परिवारों के बीच झगड़ों—खासकर शादी और रिश्तों से जुड़े विवादों—को सुलझाने के लिए जाना जाता था। तमिलनाडु में इसकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग थी, और लोग अपने निजी मसले लेकर स्टूडियो पहुँचते थे। शो का फॉर्मेट ऐसा था कि यह न सिर्फ ड्रामा पैदा करता था, बल्कि कई बार परिवारों को एकजुट भी करता था।
लेकिन भार्गवी के लिए यह शो सिर्फ एक मंच नहीं था—यह उसकी आवाज़ बनने वाला था। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, यह साफ नहीं है कि भार्गवी ने खुद चैनल से संपर्क किया या किसी ने उन्हें शो में आने की सलाह दी।
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| निर्मला पेरियासामी |
15 मई 2012 को चेन्नई के टी. नगर में ज़ी तमिल के स्टूडियो में शो की रिकॉर्डिंग शुरू हुई। टॉपिक था "लव मैरिज और माता-पिता की आपत्तियाँ"। निर्मला ने शो शुरू किया और भार्गवी से पूछा, "तुम अपने माता-पिता के पास वापस क्यों नहीं जाना चाहती?"
भार्गवी ने पहले हल्के-फुल्के जवाब दिए। उसने बताया कि मुरुगन उसकी शादी सतीश से नहीं होने देना चाहता। फिर निर्मला ने अपनी मशहूर बेबाक स्टाइल में और गहराई में जाकर पूछा, "क्या बात है? तुम इतना डरती क्यों हो?" यही वो पल था, जब भार्गवी का गुस्सा और डर बाहर निकल आया। उसने कहा, "मेरे पिता ने 2008 में तीन लोगों की हत्या की थी—लावण्या, सिलंबरसन, और शेखर। उनके शव हमारे घर के पास कुएँ के किनारे दफन हैं।"
यह सुनते ही स्टूडियो में सन्नाटा छा गया। निर्मला, जो हमेशा सख्त और आत्मविश्वास से भरी रहती थीं, कुछ पल के लिए चुप हो गईं। मुरुगन और राजेश्वरी ने तुरंत इनकार कर दिया। मुरुगन ने कहा, "यह सब झूठ है!" लेकिन राजेश्वरी ने कुछ ऐसा कहा, जिसने शक को और गहरा कर दिया। उसने बताया कि मुरुगन उसे भी धमकाया था कि वह उसे भी"उन तीन लोगों की तरह" मार देगा।
शो 28 और 29 मई 2012 को प्रसारित हुआ। लाखों दर्शकों ने यह देखा, और उन्हीं में से एक महिला, *जीवा*, जो शेखर की पत्नी थी, टीवी पर यह खुलासा देख कर, वह तुरंत विल्लुपुरम पुलिस में शिकायत दर्ज कराती है, क्योंकि उसका पति शेखर, बेटी लावण्या, और दामाद सिलंबरसन 2008 से लापता थे।
आप लोग के मन में सवाल होगा कि उन तीन लोगों को मारने की क्या वजह थी। तो इसकी अलग ही स्टोरी है, वीडियो में आगे जानेंगे।
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| तीनों लोगों को ढूंढने के लिए अखबार में आर्टिकल छपे गए |
1 जून 2012 को जीवा की शिकायत के बाद विल्लुपुरम पुलिस हरकत में आई। उन्होंने मुरुगन, राजेश्वरी, मुरुगन के भाई *मथियारसन*, और एक कर्मचारी *मूर्ति* के खिलाफ FIR दर्ज की। 5 जून को पुलिस ने भार्गवी के बताए गए स्थान कुएँ के आसपास—खुदाई शुरू की। वहाँ से तीन मानव कंकाल मिलती है। फॉरेंसिक जाँच में पुष्टि भी हो जाती है कि ये शव लावण्या, सिलंबरसन, और शेखर के थे।
लेकिन मुरुगन अब तक फरार हो चुका था। क्योंकि शो की रिकॉर्डिंग 15 मई को और प्रसारण 28 मई को होता है जिससे 11 दिन के गैप ने उसे भागने का मौका दे दिया। लेकिन पुलिस ने एक चालाकी भरा तरीका अपनाया। उन्होंने मुरुगन को फोन किया, खुद को ज़ी तमिल का क्रू मेंबर बताया, और कहा कि वे उसे अपनी सफाई देने के लिए एक और शो में बुलाना चाहते हैं। मुरुगन, जो एक दोस्त के घर छिपा था, इस जाल में फँस गया। पुलिस ने "प्रेस" लिखी गाड़ी और कैमरे लेकर उससे मिलने पहुँची और उसका धर दबोचा। राजेश्वरी और मथियारसन को भी गिरफ्तार किया गया।
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| यही पर तीनों को दफनाए गई थी |
जब उससे पूछताछ हुई तो उसकी अलग ही स्टोरी निकल कर सामने आया।
साल 2008 जब मुरुगन सोफा बनाने का काम करता है तब, सिलंबरसन जो कर्मचारी के तौर पर उसके यहां काम करता था
लावण्या एक युवती थी, जो मुरुगन के घर के आसपास रहती थी। पुलिस जाँच और कोर्ट के रिकॉर्ड्स के मुताबिक मुरुगन का लावण्या के साथ अवैध संबंध था। मुरुगन, जो शादीशुदा था और एक बेटी का बाप था, इस रिश्ते को छिपाकर रखता था। लेकिन यह रिश्ता सिर्फ उसकी इच्छा तक सीमित नहीं था—लावण्या के पास कुछ कीमती गहने थे, जो मुरुगन के लालच का कारण बने।
लावण्या सिलंबरसन से प्यार करने लगती है, जो मुरुगन का कर्मचारी था। 2008 में, लावण्या और सिलंबरसन ने भागकर शादी कर ली। यह शादी मुरुगन के लिए दोहरा झटका थी। पहला, उसका लावण्या के साथ रिश्ता टूटना। और,दूसरा, उसे डर था कि लावण्या उसके अवैध संबंधों का राज खोल देगी। साथ ही, मुरुगन लावण्या के गहनों को भी हड़पना चाहता था।
मुरुगन ने एक खतरनाक योजना बनाई। उसने लावण्या और सिलंबरसन को किसी बहाने से अपने घर बुलाया, । पुलिस के अनुसार, मुरुगन ने दोनों को ज़हर देकर मार डाला। यह हत्या इतनी सुनियोजित थी कि किसी को शक नहीं हुआ। मुरुगन ने दोनों के शव अपने घर के पास एक कुएँ के किनारे दफना दिए।
लावण्या और सिलंबरसन को मारने की यही वजह थी।
गाँव में कुछ लोग लावण्या और सिलंबरसन के गायब होने पर सवाल उठाते थे, लेकिन मुरुगन ने कहानी गढ़ दी कि वे कहीं और चले गए। उसके बाद
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| भारगवी के माता पिता |
शेखर जो लावण्या का पिता था। जब उसकी बेटी और दामाद अचानक गायब हुए, तो वह परेशान हो गया। शेखर ने मुरुगन से कई बार अपनी बेटी के बारे में पूछा, क्योंकि वह जानता था कि लावण्या और सिलंबरसन का मुरुगन के घर आना-जाना था। मुरुगन ने बात टालने की कोशिश की, जिससे शेखर का शक और बढ़ गया।
शेखर ने मुरुगन के घर आकर जवाब माँगना शुरू किया। पुलिस के मुताबिक, मुरुगन को डर था कि शेखर की जाँच-पड़ताल से उसकी हत्याएँ उजागर हो जाएँगी। एक दिन, जब शेखर फिर से मुरुगन के घर आया,तो मुरुगन ने उसे भी ज़हर देकर मार डाला। शेखर का शव भी उसी कुएँ के पास दफना दिया।
यह सब जब होता है तो उस समय भार्गवी 13 साल की होती है।
उसे छोटी से उम्र से ही उसके पिता दुर्व्यवहार करता था। "शुरू में वह डरती थी और किसी को भी नहीं बताती थी। लेकिन बाद में, वह उसका विरोध करना शुरू कर दिया और अपनी माँ को सब कुछ बता दिया। माँ ने उसे इसके बारे में कुछ न कहने के लिए कहा।l
एक दिन, जब वह नौवीं कक्षा में थी, तो उसके पिता ने फिर से भार्गवी को गाली देने की कोशिश करता है इसका भी विरोध करती है। पर उसकी माँ ने बीच में आकर उसे उसके साथ झगड़ा न करने के लिए कहती है। जब वह बाहर गया, तो राजेश्वरी ने भार्गवी बताया कि मुरुगन ने 2008 में तीन लोगों की हत्या की थी और उन्हें अपने घर के सामने ही दफना दिया था। यह सुनने के बाद, भार्गवी ने भी उसके खिलाफ आवाज़ उठाना बंद कर दिया। भार्गवी कहती है, "मैं बहुत डर गई और अपनी माँ की सलाह के अनुसार चुप रहने का फैसला किया।" "यह सब तब खत्म हुआ जब उसे सतीश के साथ रिश्ते के बारे में पता चला।" गुस्से में, मुरुगन ने उस दिन उसे बुरी तरह पीटा। उसने उसका गला दबाने की कोशिश की, यहाँ तक कि उसकी गर्दन पर चाकू भी रखा और उसे भी मारने की धमकी देता है, जैसे उसने दूसरों को मारा था। भार्गवी को सतीश के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने के लिए कहता है।
तभी उसने सतीश के साथ भागने का फैसला करती है, और उसके साथ टीवी स्टूडियो पहुंच गए
केस को विल्लुपुरम की फास्ट-ट्रैक महिला कोर्ट में ले जाया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, 2020 में जज "जी. शांति" ने मुरुगन को तीनों हत्याओं—लावण्या, सिलंबरसन, और शेखर—का दोषी ठहराया। उसे तीन आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जो एक साथ चलेंगी, साथ ही 95,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि मुरुगन जीवनभर जेल में रहेगा, यानी उसकी सजा में कोई छूट नहीं होगी। मुरुगन के भाई, मथियारसन, को भी एक हत्या में दोषी पाया गया और उसे आजीवन कारावास की सजा मिली। मुरुगन की पत्नी राजेश्वरी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। और मूर्ति की ट्रायल के दौरान ही मृत्यु हो गई।
यह सजा सुनाने में 8 साल लगे, लेकिन भार्गवी की हिम्मत और उस एक टीवी शो ने एक ठंडे पड़े केस को फिर से खोल दिया।
2012 में सोशल मीडिया आज जितना बड़ा नहीं था, लेकिन इस केस ने तमिलनाडु में तहलका मचा दिया। स्थानीय और राष्ट्रीय अखबारों, जैसे *द हिंदू* और *टाइम्स ऑफ इंडिया*, ने इसे बड़े पैमाने पर कवर किया। लोग हैरान थे कि एक रियलिटी शो ने इतना बड़ा खुलासा कैसे किया।
विल्लुपुरम के DIG **के. शनमुगवेल** ने ज़ी तमिल की आलोचना की, क्योंकि उन्होंने रिकॉर्डिंग और प्रसारण के बीच 11 दिन का गैप रखा। उन्होंने कहा, "अगर मुरुगन भाग जाता या आत्महत्या कर लेता, तो ज़िम्मेदारी किसकी होती? मीडिया को कानून-व्यवस्था संभालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।"
यह एक ऐसी लड़की की हिम्मत की कहानी है, जिसने अपने डर को अपनी ताकत बनाया। भार्गवी , जो अपने पिता की क्रूरता और धमकियों से डरती थी, ना सिर्फ अपनी ज़िंदगी को बचाया, बल्कि तीन बेगुनाह लोगों को इंसाफ दिलाया। *सोल्वदेल्लम उन्माई* शो, जिसका मतलब है "सब कुछ सच", ने सचमुच एक भयानक सच को दुनिया के सामने लाया।
लेकिन यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि रियलिटी शो की ताकत के साथ ज़िम्मेदारी भी आती है। अगर चैनल ने पुलिस को तुरंत सूचना दी होती, तो शायद मुरुगन को पहले पकड़ा जाता। फिर भी, इस केस ने दिखाया कि सच, चाहे कितना भी छिपा हो, एक दिन सामने आ ही जाता है।
आज, यह केस तमिलनाडु के इतिहास में एक अनोखी मिसाल है




